गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

अब कलम की ताकत भी बाजारू हुई !

एक समय था जब भारत देश की आजादी की लड़ाई में हमारी मिडिया ने अपनी कलम की ताकत से पुरे ब्रितानी शासन  की जड़ें हिला दी थी ! उस समय देश को आजाद कराना शायद हमारा मकसद था लेकिन उसी समय से हम लोग ये भी पडतें आयें हें की एक पत्रकार कभी भी किसी के आगे नहीं झुकता, पर अफसोस की दोलत को पाने की हमारी लालच ने इस कहावत को ही उल्टा कर दिया हे ,की" आज हर पत्रकार केवल पेसे के आगे  ही झुकता हे " उसके लिए केवल पैसा ही सबसे बड़ी कमाई हे और उसको इस के लिए चाहे पुरे देश को ही क्यों न बेचना  पड़े ! इसका तजा उदाहरण २ (जि) स्पेकत्रम में दो बहुत ही जानी  मानी मिडिया हस्तिओं के नाम का शुमार होना! एक विद्यार्थी अपनी पढ़ाई के समय अपना लक्ष्य निर्धरित करता हे की वह कल बड़ा होकर एक सच्चा पत्रकार बनेगा पर क्या उसे इस लक्ष्य को न रखने के लिए नहीं कहना चाहिए ! क्योंकि जिन लोगो की सचाई के किस्से सुनकर उसने अपना इरादा मिडिया की और आने का किया हे वो लोग तो आज माया की मोहमाया में इतने जकड़े नजर आरहे हें की उनका इसमें लिप्त होना मिडिया की सुर्खिया बन रही हे ! लेकिन मिडिया में भी केवल इन्टरनेट मिडिया ही इस मामले को अधिक प्रचरित कर रही हे ! ये दोनों नाम अपने आप में बहुत बड़े  हे ! और मिडिया में आने वाले हर कोई इनको अपना आदर्श मानकर ही पत्रकारिता अपना मुकाम हासिल करने के लिए आते हें ! क्या हमको इसके लिए कोई नई पहल नहीं करनी चाहिए ? क्या हमें कलम की ताकत को बाजारू होने से नहीं बचाना चाहिए ?
आपके सभी के कमेन्ट इस पर जरूर चाहूँगा
एस एस नेगी

3 टिप्‍पणियां:

  1. negi ji bahut sahi likha he aapne ajjkal to midia ne apne mayne hi badal diye hen

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  2. apke dawara likh sabhi baten sacchi or karwi he lekin hme khushi he ki koi to he jo sacchai ko ujjagar karne me vishwas rakhata he

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  3. negi ji bura na mano to apne jo kuch likha hai waha aaj ka sashwat satya ban chuka hai kyonki mene khud apni aankho se 200 aur 500 k beech mein acche se acche patrakar ko bikte dekha hai mein ek gaon ka niwasi hun mere gaon ki hee nahi ye sabhi gaon ki kahani hai.......

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