शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011
एक और क्रन्तिकारी
देश ने ही नहीं दुनियां में भी जब भी कभी कही जुर्म, अन्याय, अत्याचार और भ्रष्टाचार ने अपनी सीमाएं लांघकर आम जन मानस के अधिकारों और उसके हक़ को निर्ममता से
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