सबसे पहले तो सभी लोगों को नमस्कार !
अब सीधे बात करतें हैं उपर लिखे शीर्षक की ! मैंने आखिर इस तरह किस लिए लिखा! तो ये ख्याल दिल में तब आया जब मैं टीवी पर १८वे स्क्रीन अवार्ड को एक परिवार के साथ देख रहा था ! शाहिद कपूर के आते ही सिलसिला शुरू हो गया, जिसका मैंने अंदाजा नहीं लगाया था ! पहली मर्तबा एक स्टार को मैंने इस तरह खुले- आम एक मंच पर सभी फिल्मी दिग्गजों व उनके परिवार के सभी सदस्यों के सामने बिना रुके उस शब्द का इस्तेमाल करते देखा और सुना जिसको जब भी फिल्मों में इस्तेमाल किया जाता रहा है तो उस पर सेंसर लगा दिया गया, या उसकी जगह बीप ......बीप .... का इस्तेमाल किया जाता रहा है और जब भी शाहिद इसको बोलते तो इस तरह से लोग ठहाका मार कर हस्ते मानो "बीरबल का कोई चुटकुला महफिल में किसी ने कह दिया हो" हम लोग अक्सर लिखतें हैं की हमारी फिल्मे समाज का आइना होती हैं ! तो क्या इसी समाज की कल्पना हम लोग चाह रहे थे ! मुझे लगता हे की हम लोग अपनी दिशा को तय नहीं कर पाए हैं, क्योंकि कोई भी सभ्य व्यक्ति ऐसे समाज से नहीं जुड़ पायेगा! फिर बात जनरेशन गेप की आ जाती है , जो की स्वभाविक ही है , अब वापस चलते हैं समारोह की बात पर ! बात शाहिद तक ही रहती तो शायद सही ही था ! लेकिन शाहरुख़ खान भी इससे अछूते नहीं रहे, उसने भी जमकर फूहड़ता बिखेरी ! शाहरुख़ खान इस देश में कई लोगो के आदर्श होगें , तो क्या इस तरह का मंच संचालन देश के सुपर स्टार को शोभनीय है !
अब ये सब लिखने के पीछे करण था किउस परिवार का एक बच्चा अपने पापा से पूछ बैठता है कि "फ........." इस शब्द का अर्थ क्या होता है ! तो बाप कि आवाज नहीं निकली , कियोंकि उसने इतने ऊँचे स्वर में पूछा कि उसकी आवाज रसोई में काम कर रही उसकी मम्मी और दुसरे कमरे में बैठी बहन जो कि अभी १६ वर्ष कि ही होगी तक बड़ी आसानी से पहुँच गयी होगी ! तो क्या हम लोग सही में अश्लीलता को अपना चुके हैं तो फिर उस बाप ने अपने बच्चे को क्यों उसका अर्थ नहीं बताया ! ये बात मैं किसी गाँव कि नहीं कर रहा हूँ ,ये बात है देश कि राजधानी दिल्ली की ! अब आप लोग ही सोचिये कि क्या हम लोग सही दिशा कि ओर हैं ! मैं उस बचेकि मन कि दशा को समझ सकता हूँ और शायद आप सभी भी इसको अच्छी तरह समझ रहे होंगे ! इस पर मेरा मन किया कि मैं एक सवाल हम सभी से क्यों न करू !
अब ये सब लिखने के पीछे करण था किउस परिवार का एक बच्चा अपने पापा से पूछ बैठता है कि "फ........." इस शब्द का अर्थ क्या होता है ! तो बाप कि आवाज नहीं निकली , कियोंकि उसने इतने ऊँचे स्वर में पूछा कि उसकी आवाज रसोई में काम कर रही उसकी मम्मी और दुसरे कमरे में बैठी बहन जो कि अभी १६ वर्ष कि ही होगी तक बड़ी आसानी से पहुँच गयी होगी ! तो क्या हम लोग सही में अश्लीलता को अपना चुके हैं तो फिर उस बाप ने अपने बच्चे को क्यों उसका अर्थ नहीं बताया ! ये बात मैं किसी गाँव कि नहीं कर रहा हूँ ,ये बात है देश कि राजधानी दिल्ली की ! अब आप लोग ही सोचिये कि क्या हम लोग सही दिशा कि ओर हैं ! मैं उस बचेकि मन कि दशा को समझ सकता हूँ और शायद आप सभी भी इसको अच्छी तरह समझ रहे होंगे ! इस पर मेरा मन किया कि मैं एक सवाल हम सभी से क्यों न करू !
क्या अश्लीलता को हम पूरी तरह अपना चुके हैं ?
अगर अपना चुके हैं तो फिर हम लोग इस पर बात करने से क्यों कतराते हैं ? या कोई और विकल्प नहीं रह गया है ! आज कल की फिल्मों की बात तो क्या कहने , "रा वन" में ही देखें तो करीना व् शाहरुख़ दोनों ने ही कोई कसर नहीं छोड़ी ! वेसे ही आमिर खान बेनर तले बनी "डेली वेल्ली" इसमें आमिर खान ने खुद ही एक आईटम नंबर में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जो कि हमारा समाज नहीं स्वीकारता है ! अब तो लोगों में इसकी होड़ सी ही लग गयी है ! अब जो भाषा हमारी फिल्मो में बोली जाती है क्या सही में हम लोग इसी समाज की कल्पना किये हुए थे ????
मेरा सवाल सभी लोगों से कि "क्या अश्लीलता को हम पूरी तरह अपना चुके हैं ??????
There is a huge gap between what we see on tv and what actually is reality..but none the less we try hard to adapt it and more than often it back fires as in the case of father and son mentioned in this blog..
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