बुधवार, 4 जुलाई 2012

शीला दीक्षित का एक और जनता विरोधी फैसला


शीला दीक्षित का एक और जनता विरोधी फैसला,  कहा , 'कि अब पानी का भी होगा निजीकरण !'
   प्रदेश की  जनता को ये समझ में नहीं आ रहा कि ये इस सरकार  का फैसला किस तरह उनके हक़ में है , अभी कुछ दो दिन पहले मुख्यमंत्री साहिबा का बयान था कि अगर जनता को 24 घंटे बिजली चाहिए तो उसे उसका भुँकतान करना होगा , तो क्या इसससे पहले जनता बिजली के बिलों का भगतान मुख्यमंत्री के  कोष से करती थी  ? अब जनता तो इन्ही पानी और बिजली के बिलों के मध्य फसें रहेगी ! बाकी का खर्च जनता केसे उठाएगी, क्यों सरकार आपनी ताकत का बेजा इस्तेमाल करती है क्यों ये लोग इस बात को भूल जाते हैं की इस ताकत को देने वाले भी यही लोग है ! जिनका मात्र एक बोट कभी कभी प्रदेश की पूरी सरकार पर भारी  पढ़ जाता है ! हाल ही में शीला सरकार ने बिजिली को महंगा कर दिया है जिसका सीधा असर आम उपभोक्ता पर पड़ रहा है ! एक और आप जनता की निर्धारित आय 32 रूपये प्रति ब्यक्ति निश्चिन्त करते हो तो इस 32 रूपये में तो एक वक्त का खाना नसीब नहीं हो सकता, भला वह 10 unite केसे दे पायेगा ! आज दिल्ली जो भी ब्यक्ति गाँव के दूर इलाके से कमाई के लिए आता है वह रोज घर नहीं जा सकता है , वह आपने लिए किराये का घर दूंदते है और
दिल्ली में अगर बिजली का बिल 10 रपये पर unite देना पड़ेगा या देना  पड  रहा है तो उसका 32 रूपये में केसे गुजारा होगा ! शीला सरकार के सभी नुमायांदों को लगता है की भविष्य में अब राजनीति से अलविदा कहना ही पड़ेगा ! कियोंकि अगर में इस सरकार की नीतियों से इतना उब गया हूँ तो मुझ जेसे कितने लोग और युवा आज ये बात सोच रहे होंगे, इस बात को एक सर्वे  में  जो की "पहल अ माइलस्टोन " यानी हमारी पत्रिका के द्वारा कराया गया, जिससे पता चला कि 90% लोग पुरे तौर से इस सरकार को नकारती है , बचे 10% लोग ये वो लोग हैं जिनका जावाब इस कारन से सपष्ट नहीं हो पाया कियोंकि वे मानते हैं की आज की इस सरकार ने देश की जनता को भ्रष्ट के कई उधाहरण सामने रखे हैं इनको लगता है की अब केवल भरष्ट लोग ही राज कर पायेगें ! लेकिन अगर इनलोगों को छोड़ दे तो बाकि के 90% लोग बुरी तरह बोख्लाई हुई है ! शीला सरकार को समाये रहते संभलने की जरुरत है ! नहीं तो जहाँ शीला जी ने एक महिला मुख्यमंत्री  के रूप में लगातार तीन बार सत्ता में बने रहने का रिकोर्ड बनाया था , अब की बारी कहीं इसी जनता से मुह की न खानी पड़े !

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