सोमवार, 26 सितंबर 2011

देश के  युवा यवती आज एक ही सुर में आवाज को बुलंद करने की एक नाकाम सी कोशिश में लगे हैं ! लेकिन क्या ये पहल एक मिल का पत्थर बन पाएगी ? इस तरह के कई सवाल मेरे दिलों दिमाग में घूमते रहतें हें !जी हाँ ! में बात कर रहा हूँ हम लोगों की जो इस देश रहतें हैं . जहाँ पर कई महापुरुषों ने जनम लिया है और कई महान हस्तिओं ने इस देश के लिए अपना खून पानी की तरह बहाया है . क्या सही मायने में यही उनकी महनत  का इनाम होना चाहिए ? की जो देश किसी ज़माने में एक सोने की चिडया के नाम से विश्व विख्यात था क्या वो आज नहीं हे ? अब इसका खुलासा तो विकिलेक ने कर ही दिया हे . भला हो उस इंसान का जो दुनियां के सभी गैर क़ानूनी तरीके से धन कमा रहे धनकुबेरों के विषय में लोगों को जानकारी दे रहा  हैं . लेकिन हम हैं हें की अब भी अपनी आवाज को बुलंद करने में लगें हें . क्यों नहीं हम इस आवाज को इतना बुलंद करते की देश इन भ्रष्ट लोगों के कानों के परदे तक हिल जाएँ और इस कदर हिले की इन भ्रष्ट लोगों की दिमाग की नसें तक हिल जाये और फट जाएँ . आखिर हम लोग कब अपने हक़ की रोटी को इन गदारों से भेख के रूप में मागते रहेगें . एक बिदेशी बैंक जमा ये कला धन किसका है देश का हे किओंकी इन लोगों इसको देश से चोरी करके चुराया है . और चोर को पकडवाने के लिए कोई आप से आज कह रहा है और हम हैं की उस चोर की चोरी पैर पर्दा ढाल रहे हें ये कह कर की नहीं इनका नाम सामने न आने पाए . हम लोगों में से कितने लोग होंगे जो एक चोर की चोरी पकडे जाने पर उसको मारने से पिच्छे हटें होंगे ? तो ये लोग तो पुरे देश के लोगों की रजी रोटी के चोर हैं तो हम लोग चुप क्यों हें, आखिर क्यों ? क्यों हम लोग अपनी आवाज को" एक और आजादी की मांग की आवाज" नहीं बना लेते हैं . आजादी के ६३ वर्ष के बिताने बाद भी हम लोग कौन सी आजादी में जी रहे हैं . क्या ये आजादी है की मात्र २६ लोग देश की  पूरी जनता के मालिक  बने बैठे हैं . देश की सरकार , और देश की अदालत को भी वही ही चलतें हैं क्या इसी आजादी के लिए हमारे  महान पुरुषों ने अपनी  अपनी बलि दी थी की एक दिन फिर से हम लोग अपने ही लोगों की गुलामी की जंजीरों के कैदी बन सके. आखिर क्यों हम लोग इन लोगों के नाम नहीं जान सकते. क्या ये हमारे अधिकार में नहीं है ? या ये इन चंद (२६) काले धन के मालिकों ने संविधान को ही बदल दिया है .    

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