इन बयानों पर आपका क्या कहना है ?
बीते साल में कई बार ऐसे पल आए जब अच्छे-अच्छे लोगों की ज़ुबान फिसल गई.
जुबान फिसलने के बाद उनके दिए बयान पर काफी हो-हल्ला भी मचा. अब जब साल बीत
रहा है तो एक नज़र उन बयानों पर जिसने भारतीय राजनीति में अचानक से हंगामा
पैदा कर दिया. बयान देने वालों को भी बाद में अफसोस जताना पड़ा. लेकिन
उनका बयान तब तक इतिहास में दर्ज हो चुका था.
अन्ना हजारे
"एक ही मारा"
नितिन गडकरी
"घोड़ों को नहीं मिल रही है घास, गदहे खा रहे हैं च्यवनप्राश"
गुलाम नबी आजाद
"समलैंगिकता अप्राकृतिक है और भारतीय समाज के लिए अच्छा नहीं है. यह दूसरे देशों से यहां पहुंची बीमारी है."
सुशील कुमार शिंदे
"जिस तरह से देश बोफोर्स मामले को भूल गया उसी तरह कोयले का मुद्दा भी एक दिन भूला दिया जाएगा
नरेंद्र मोदी
"इस देश में कभी किसी ने 50 करोड़ रुपये की गर्ल फ्रैंड देखी है."
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
"ठीक है"
श्रीप्रकाश जायसवाल
"नई-नई जीत और नई-नई शादी, इसका अपना अलग
महत्व होता है. जैसे जैसे समय बीतेगा, जीत की यादें पुरानी होती जाएंगी.
जैसे-जैसे समय बीतता है, पत्नी पुरानी हो जाती है."
राहुल गांधी
"पंजाब में प्रत्येक 10 में 7 लोग ड्रग्स का सेवन करते हैं
नितिन गडकरी
"अगर साइंटिफिक भाषा में हम कहें तो दाऊद
इब्राहिम और स्वामी विवेकानंद का आईक्यू लेवल एकसमान था. लेकिन एक ने इसे
गुंडागर्दी में लगाया और दूसरे ने इसे समाजसेवा में लगाया."
बेनी प्रसाद वर्मा
"मुलायम सिंह पगला गए हैं, सठिया गए हैं, दिल्ली में सरकार बनाने का सपना पूरा नहीं होगा."
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
"पैसे पेड़ पर नहीं उगते"
ममता बनर्जी
" पहले लड़के-लड़कियां अगर एक दूसरे का
हाथ पकड़ लेते थे तो उनके माता-पिता उन्हें पकड़ लेते थे, डांटते थे पर अब
सब कुछ खुला है. खुले बाज़ार में खुले विकल्पों की तरह"
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