शनिवार, 29 दिसंबर 2012

माँ होने के नाते दर्द समझती हूँ: सोनिया

सोनिया जी के बयान पर आप की टिप्पणी बहुत जरुरी है ! क्या सही में वो इस दर्द को समझती है, क्या वो अब जो इनके घर परिवार वालों की हालत होगी उस वो कैसे जान सकती है , जिनके परिवार तो दूर इनके तो रिश्तेदारों को भी जेट सिक़ुरिति उपलब्ध है ? तो वो देश भर में डरी सहमी माताओ की हालत को कैसे समझ सकती है ? बड़ा ही दुःख होता है ये सब देख सुनकर जब देश की राजधानी में ये सब होता है और डर  अपनाप बढ जाता है जब सोचते है की  भविष्य में ऐसा ही चलता रहा तो शायद ये दुनिया का पहला देश होगा जहा पर कोई भी लड़की नहीं चाहेगा ? क्या कभी कल्पना की है ऐसे भरता की ? अगर नहीं की तो अब इसको कल्पना न करके इसे हकीकत होते अब देरी नहीं लगेगी ! क्या लोगो के अन्दर पुरुष ख़त्म होगया है ! क्या ये वही देश है जहा पर कभी लोग एक स्त्री की रक्षा के लिए आपनी जान की भी परवाह नहीं करते थे ? आखिर इस देश को हो क्या गया है ? किसकी नजर लगी है मेरे इस देश को ? ये लोग जो लडकियों को  इस तरह से छेड़ते और जघनिया आपराध करते है कई लोग कहते है की इनकी मानसिक हालत सही नहीं होती, ऐसा नहीं है ये लोग ही नहीं बल्कि आज का हर युवा शिकार है हवस का जी हाँ कियोकी ये में इस लिए भी लिख रहा हूँ कि देश जब इस पीडिता के लिए दुआ में जूता हुआ था तो दूसरी और लडकियों की अस्मत लगातार लुटती जा रही थी ! तो क्या मेरा ये कथन कहा से गलत है ? इस लिए आपको देश के युवा को न केवल संस्कार की वो शिक्षा जिसको हम सभी लोगों ने ये कह कर दरकिनार कर दिया था की ये तो हम लोगों की तरकी में बाध्यता है ? देश आज सही मायनों में उनही संस्कारों की जिन्ह हम भुला चुके है ? मेरा सलाम है "देश की उस बहादुर बच्ची को और उसके माता पिता को जिन्होंने उसे जाना" जो न चाहते हुए भी देश की सभी महिलाओ को सन्देश दे गयी की "उसकी  अस्मत की उसके जीने का मकसद था " यहाँ पर संकार के साथ साथ कानून में बदलाव भी बहद जरुरी है ! आज भी देश में वो कानून मोजूद है जो कभी फिरंगियों ने अपने फायदे के लिए बनाये थे क्यों ? क्या ये कानून नहीं बदले जाने चाहिए ? देश जनता ने जो अलख इस घटना के माध्यम से जलाई है उसे उन भुजाओ ? इसे एक मशाल बनाने दो ये मशाल ही इस देश का भला कर पायेगी ! नहीं तो सौ साल फिरंगी राज कर गए और अब ये मुठी भर लोग जो स्वहित के लिए देश को ही एक दीन बेच कर बिना डकारे पचा डालेंगे !
उसके जाने से केवल आम जन मानस दुखी है और रही बात ख़ास की तो वो तो सुखी ही सुखी थे इनके घदयाली आसुओं पर न जाओ लोगो जागो नहीं तो समय निकल जाएगा ! किसी भी नेता को फर्क नहीं पड़ता किसी जनता चाहे जिए या मरे ! अगर पड़ता तो क्या इतने बबाल के बाद भी और एक कीमती जान जाने के बाद भी इनके कानून में कोई बदलाव लाने वाले सुर नजर नहीं आ रहे है ? लेकिन दामनी की मौत ने लोगो को कही न कही सोचने के लिए बाध्य तो किया ! अब आगे क्या ???????????????????????
उसके परिवार की हालत को केवल वे ही जानते है , जो लोग दावा कर रहे है की वो समझ सकते है केवल दिखावा मात्र है और कुछ नहीं ?

शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

साल के बारह विवादास्पद बयान

इन बयानों पर आपका क्या कहना है ?
बीते साल में कई बार ऐसे पल आए जब अच्छे-अच्छे लोगों की ज़ुबान फिसल गई. जुबान फिसलने के बाद उनके दिए बयान पर काफी हो-हल्ला भी मचा. अब जब साल बीत रहा है तो एक नज़र उन बयानों पर जिसने भारतीय राजनीति में अचानक से हंगामा पैदा कर दिया. बयान देने वालों को भी बाद में अफसोस जताना पड़ा. लेकिन उनका बयान तब तक इतिहास में दर्ज हो चुका था.

अन्ना हजारे

"एक ही मारा"

नितिन गडकरी

"घोड़ों को नहीं मिल रही है घास, गदहे खा रहे हैं च्यवनप्राश"

गुलाम नबी आजाद

"समलैंगिकता अप्राकृतिक है और भारतीय समाज के लिए अच्छा नहीं है. यह दूसरे देशों से यहां पहुंची बीमारी है."

सुशील कुमार शिंदे

"जिस तरह से देश बोफोर्स मामले को भूल गया उसी तरह कोयले का मुद्दा भी एक दिन भूला दिया जाएगा

नरेंद्र मोदी

"इस देश में कभी किसी ने 50 करोड़ रुपये की गर्ल फ्रैंड देखी है."

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

"ठीक है"

श्रीप्रकाश जायसवाल

"नई-नई जीत और नई-नई शादी, इसका अपना अलग महत्व होता है. जैसे जैसे समय बीतेगा, जीत की यादें पुरानी होती जाएंगी. जैसे-जैसे समय बीतता है, पत्नी पुरानी हो जाती है."

राहुल गांधी

"पंजाब में प्रत्येक 10 में 7 लोग ड्रग्स का सेवन करते हैं

नितिन गडकरी

"अगर साइंटिफिक भाषा में हम कहें तो दाऊद इब्राहिम और स्वामी विवेकानंद का आईक्यू लेवल एकसमान था. लेकिन एक ने इसे गुंडागर्दी में लगाया और दूसरे ने इसे समाजसेवा में लगाया."

बेनी प्रसाद वर्मा

"मुलायम सिंह पगला गए हैं, सठिया गए हैं, दिल्ली में सरकार बनाने का सपना पूरा नहीं होगा."

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

"पैसे पेड़ पर नहीं उगते"

ममता बनर्जी

" पहले लड़के-लड़कियां अगर एक दूसरे का हाथ पकड़ लेते थे तो उनके माता-पिता उन्हें पकड़ लेते थे, डांटते थे पर अब सब कुछ खुला है. खुले बाज़ार में खुले विकल्पों की तरह"


 



 



 





सोमवार, 24 दिसंबर 2012

क्या होगा इन्साफ, देश की महिला मांग रही है हिसाब ?

हमारे  देश का इतिहास सदियों से स्त्री जात को घर की लक्ष्मी तो कहता आया है लेकिन लक्ष्मी की जहा मंदिरों में पूजा अर्चना की जाती है पर उसके साथ फिर ये दरिंदगी से भरा सलूक किस लिए ? क्या हम लोग जब पूजा करते है तो भूल जाते है कि पूजा जिसकी हो रही है वह एक स्त्री है ? ना ना लेकिन उस वक्त तो ये महानुभाव आँखे मूंद कर ध्यान में लीन होकर भूल जाते है की ये उसी देवी की आराधना कर रहा है, उसी का अंश इस देश में महिला को ये लोग बताते आये है ! जब भी किसी व्यक्ति को समाज या आस पड़ोस में आपने को आच्छा साबित करना होता है तो वो नारी शक्ति का गुणगान करता नहीं थकता ! तो फिर ये भेदभाव और जघन्या अपराध भी इन्ही के साथ ही क्यों ? क्या आपने कभी सोचा है की इन अपराधों से देश भर में महिलाओं के प्रति लोगो में कही  न कही ये बात उठती जा रही है कि सरकार का ये कहना "बेटी बचाओ " कितना सही है ? क्या इन दरिंदो के लिए बैटियो को बचाया जाए ! अब तो एक माँ दुआ करती होगी की उसे बेटी न हो तो अछा ! तो क्या इस देश की कल्पना कर रहे थे हम ? जो देश पुरे विश्व में अपने प्रेम भाई चारे और सौहार्द के लिए विख्यात था ,  वहां आज साँस लेना भी मुश्किल लग रहा है ! देश भर में आज बलात्कार के खिलाफ आवाज एक गूंज में उठ रही है! और देश की सरकार इसी आवाज को अगर दबाती है तो वो दिन भी दूर नहीं जब देश में किसी की भी माँ बेटी सलामत नहीं रहेगी ! क्यों सरकार  इस पर ध्यान नहीं दे रही है ! आज देश का हर समजदार पड़ा लिखा नोजवान इसका विरोध कर रहा है, तो सरकार को वक्त रहते कुच्छ करना चाहिए और इस  तरह की कोई घटना देश में दुबारा न हो ऐसा प्रावधान करना ही होगा ! ये लोग जो विजय चौक पर खड़े न्याय की गुहार लगा रहे है ये तो वो लोग है जो दिल्ली में रहते है jab इनको संभल पाना अगर इतनी मुश्किलों भरा हो सकता है तो अभी तो देश में सौ करोड़ से उपर की आबादी बाकी है ? सरकार को चाहिए की देश की तरककी का माध्यम बने ना की बर्बादी का कारण ! जब देश के  लोगो ने केवल 30 करोड़ आबादी से सौ बरस की गुलाम जिन्दगी को उखाड़ फैंका तो क्या ये सरकार नहीं बदल सकती ? देश की भलाई में ही हमारे नेताओं की भलाई है !

सोमवार, 17 दिसंबर 2012

महिलाओ के लिए कितनी असुरक्षित दिल्ली -विनाशा दूर नहीं बहुत ही करीब है !


दिल्ली देश की राजधानी ! हम लोगो की शान या  कहिये कि  देश का दिल ! ये दिल आजकल एक भयानक बिमारी से गर्स्थ है ! 

न न इस बिमारी के लिए तो नाम भी समझ से परे हे !एक बार फिर देश के दिल को कुछ नापाक लोगों ने अपनी बिमारी के चलते इस कदर जख्मी कर दिया है कि देश का हर ब्यक्ति इन लोगो को जाने कितनी बददुयायें दे रहा होगा ! क्या इन लोगो को इस कुकर्म को करते समय ये बिलकुल भी याद नहीं आता की वो भी इस औरत की बदोलत इस दुनिया में है! जिसका वो आज इस कदर अपमान कर रहे है क्यों वो भूल  रहे  है कि इसके बिना हमारा कोई अस्तित्व ही नहीं है ! आज सुबह इन्टरनेट पर समाचार पड़ने के लिए लोग-इन किया, तो सभी वेब पर हेड लाइन पड़ते ही पूरा दिन इसी सोच में चला गया कि आखिर ये लोग किस मानसिकता के शिकार है? क्या ये आपने घरों में अपनी माँ बेटी को नहीं देखते होंगे क्या अपनी बेटी को स्कुल भेजते हुए उनके मन में ख्याल नहीं आता होगा कि खुद न करे इस तरह की कोई बात उनके साथ हो जाये तो, चलो माँ, बेटी जिनकी नहीं हे उनका अपना कोई अजीज! क्या ये ख्याल उनको नहीं डराता होगा ? दिल्ली जहाँ कि मुखिया एक औरत है उसके राज में इन घटनाओ का दिनों दिन इस तेजी के साथ बढना कही ना कही उनके पुरे प्रशासन पर भी सवाल उठाता है ! आखिर ये महिलाओं के साथ हो गन्दा खेल कब तक चलता रहेगा ? क्या इस पर उनका कोई उतर्दाइत्व नहीं बनता कि प्रदेश में कोई ऐसा कोई क़ानून लाये जो इन मूर्खों के लिए एक सबक बने? ताकि इस मानसिकता से गर्स्त लोग ये कुकर्म करना तो दूर सोचने मात्र से भी भयभीत हो जाए ! क्या इन घटनाओं को रोकने का कोई तरीका सरकार के पास नहीं है ?यदि है तो उसको जल्दी से जल्दी बिना किसी देरी के कानून का रूप दिया जाना चाहिए ! और अगर नहीं है कोई भी सामाधान तो ऐसे शासक का क्या काम ! जो अपनी ही जात की रक्षा नहीं कर सकती वो दुसरों की क्या रक्षा कर पायेगी ?

एक खबर से मुझे दुःख के साथ साथ ग्लानि भी हो रही है कि आज के लोग आखिर आने वाली पीढ़ियों को क्या भविष्य देना चाहते है ? मेने कभी पढ़ा था की एक समय एसा आएगा जब लोग पतन की आपनी सीमा पर होगा तो वो भूल जायेंगे की किस से क्या रिश्ता है उसका लेकिन उस समय में नहीं समझ पाया की उसका क्या अर्थ है ? लेकिन आज जो ख़बरें पड़ने सुनाने व् देखने को मिल रही है उससे तो यही लगता है की हम लोग अपने पतन की और कभी के जा चुके है !

आज बाप जो अपने परिवार की रक्षा के लिए मरते दम तक अपने पसीने को खून में बदलने को तत्पर होता था, और जो अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए कुछ भी कर गुजरना सही मानता था, ऐसे देश में खबरें का ये रूप देखने को मिलेगा कभी सपने भी नहीं सोचा ! ये पतन नहीं तो क्या है जहाँ लोग ये भूल जाये की बाप बेटी का रिश्ता क्या मायने रखता है ? ये विनाश या कहिये सर्वनाश का संकेत नहीं तो क्या हे जब भाई बहन का रिश्ता जो पुरे संसार में सबसे पवित्र मन गया हे लोग उसकी पवित्रता को नापाक करने आमादा है ? 

विनाशा दूर नहीं बहुत ही करीब है ! इस पर तो लिखते हुए भी शर्म आती है फिर कोई केसे इस घृणित को करने के विषये में सोच सकता है ! 

अगर कोई भी इसको पड़ता है तो मैं चाहूँगा की इस पर अपनी टिपणी अवश्य करे ??????????? आखिर कियों ये हो रहा है !

पैरा-मेडिकल छात्रा के साथ बस में गैंग रेप

नयी दिल्ली: दिल्ली में रविवार की रात उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाली एक पैरा मेडिकल छात्रा के साथ बस में कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर उसे बाहर फेंक दिया गया.
दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर फिर से गंभीर सवाल खड़ा करने वाली यह घटना बीती देर रात दक्षिणी दिल्ली के महिपालपुर के निकट घटी. पुलिस के अनुसार बस में छात्रा के साथ उसके मौजूद साथी पर आरोपियों ने हमला किया और बस से नीचे फेंक दिया. पीडि़ता का यह दोस्त पेशे से इंजीनियर है और एक कंपनी में नौकरी करता है. पीडि़त छात्रा और उसके दोस्त ने बीती रात मुनीरका से द्वारका के लिए बस पकड़ी थी. महिलापुर के निकट लड़की के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया और पीडि़ता एवं उसके दोस्त की आरोपियों ने पिटाई की. इसके बाद उन्हें बस से नीचें फेंक दिया गया. दोनों को एम्स ट्रामा सेंटर ले जाया गया. बाद में लड़की को सफदरजंग अस्पताल स्थानांतरित कर दिया गया. लड़की की हालत गंभीर बतायी गयी है. इस संदर्भ में दिल्ली के वसंत विहार थाने में प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. पीडि़त लडकी देहरादून के एक कॉलेज में पढ़ाई करती है और दिल्ली इंटर्नशिप के लिए आयी थी.
दिल्ली सुरक्षित नहीं 
इस घटना पर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा दुख जताया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली वाकई लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं रह गयी है. इस तरह की घटनाएं हाल के दिनों बढ़ गयी हैं. पुलिस और सरकार को वास्तव में सतर्क रहना चाहिए. हम इसकी जांच करायेंगे और इसकी भी जांच की जायेगी कि पुलिस ने अब तक इसमें क्या किया है.ह्ण

भाई-बहन का रिश्‍ता हुआ शर्मसार

केरल में अपने परिजनों द्वारा नाबालिग लडकी के साथ यौन उत्पीडन का एक और मामला सामने आया है. 14 वर्षीय एक लडकी के साथ उसका भाई और दोस्त कथित तौर पर पिछले दो साल से दुष्कर्म कर रहे थे. पुलिस ने बताया कि दोनों कासरगोड जिले के पावोर के रहने वाले हैं और उन्हे हिरासत में ले लिया गया है.
उन्होंने बताया कि लडकी को कर्नाटक के कई स्थानों पर ले जाया गया और उसके साथ दुष्कर्म किया गया. इस घटना की जानकारी हाल में तब मिली जब देर रात एक होटल में लडकी के साथ चार अन्य लोगों को देखकर पुलिस ने पूछताछ की. पुलिस के मुताबिक कुछ और लोग संलिप्त थे और इस संबंध में विस्तृत जांच शुरु कर दी गयी है.
गौरतलब है कि पिछले कुछ सप्ताह के दौरान केरल में इस तरह की कुछ अन्य घटनाएं सामने आयी है. एर्नाकुलम के पारावूर में 17 साल की एक लडकी के साथ उसके पिता और अन्य लोग पिछले एक साल से दुष्कर्म कर रहे थे. एक अन्य घटना में पिता ने अपनी छह साल की बच्ची का यौन उत्पीडन किया और उसे शराब पीने को मजबूर किया. कन्नूर जिले के थालासेरी के धर्मादम में 13 साल की एक लडकी के साथ उसके पिता, भाई और चाचा पिछले दो साल से दुष्कर्म कर रहे थे

गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

विश्व में कई देश हैं जहाँ आज भी महिलाये असुरक्षित

एक दिन बीबीसी की साईट खोली तो खबर पड़ते ही दंग रह गया विश्व में अभी भी कई देश हैं जहा आज भी महिलाओं की आजादी पर प्रश्न चिन्ह साफ़ नजर आता है ! कुछ ऐसा ही पड़ने को मिला, चेचन्या आज भी महिला का अपहरण किया जाता है और उसके बाद उससे शादी की जाती है, इसमें चाहे उसकी मर्जी भी न हो तो भी शादी करने पड़ती है ! उसके बाद वह चाह कर भी किसी और से साडी नहीं कर सकती है ! क्योंकि एक बार अप्रन्हारण होने के बाद उससे कोई भी शादी नहीं करना चाहता है ! इसी से मिलटी एक और खबर भी इतनी ही अजीब है यहाँ तो शादी के लिए पहले बलात्कार किया जाता है !
  किर्गिर्स्थान नाम के इस देश में पहले महिला को के साथ बलात्कार किया जाता है उसके बाद शादी की जाती है ! इस बहद पुराने कानून पर इस समय बहस शुरू हो गयी है यहाँ की सरकार इसे एक अपराध की श्रेणी में लाना चाह रही  है ! अच्छी बात ये हे की यह माग तेज हो चुकी है ! इस देश में हर साल बारह हज़ार युवतियों का अपहरण शादी के लिए किया जाता है ज़्यादातर मामलों में अपहृत महिलाओं के लिए पहली रात बलात्कार की रात होती है. इसके बाद अधिकांश महिलाएं बलात्कार करने वाले शख्स के साथ शादी के लिए तैयार हो जाती हैं. क्योंकि उनके माथे पर बड़ा कलंक लग जाता है.बलात्कार करने वाले के साथ नहीं रहने की सूरत में भी मुश्किलें बढ़ जाती हैं, क्योंकि ऐसी युवतियों से कोई शादी नहीं करता.
38 साल की जाबिला मेतेवेवा भी इस केंद्र से जुड़ी हुई हैं. बीते साल अपने परिवार के साथ हुए एक हादसे के बाद वे इस केंद्र के संपर्क में आईं.
उनकी बहन कोलपोन मेतेवेवा का अपहरण शादी के लिए हुआ. कोलपोन का पति उनके साथ काफी मारपीट करने वाला निकला.
एक दशक तक किसी तरह पति के साथ गुजर बसर करने के बाद कोलपोन ने अपने पति से तलाक मांगा. इस पर पति ने कोलपोन की हत्या कर दी.
पत्नी की हत्या के मामले में अब पति 19 साल के कैद की सजा काट रहा है.
कोलपोन का अपहरण 19 साल की उम्र में हुआ था, तब वे अपने पति के बारे में कुछ भी नहीं जानती थीं.जाबिला कहती है, “मेरी बहन को काफ़ी मनोवैज्ञानिक दबाव सहना पड़ा. ख़ासकर उसके पति के परिवार की महिलाओं ने उस पर काफी दबाव डाला कि हम भी इसी तरह अपहृत होकर रोते हुए घर में आए थे और अब हंसी ख़ुशी परिवार का हिस्सा इतना ही नहीं जाबिला के मुताबिक उनकी बहन को लगने लगा कि अगर वो अपने पति का घर छोड़कर बाहर निकलीं तो उनका जीवन ख़त्म हो जाएगा.
ये सब पड़ने के बाद क्या आपको नहीं लगता की के वाल हमारे देश में ही नहीं बल्कि इस पुरे संसार में महिला का जीवन कितना कठिन है ?